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सर्वोपरी हो कुरान: रमज़ान का अंतिम पैग़ाम

-पंडित मुस्तफा आरिफ

आज दाऊदी बोहरा समाज के रमज़ान का अंतिम दिन हैं यानी कि रमज़ान की 30 तारीख। कल 30 वीं रात की नमाज़ अदा की गयी। पूर्णतः अनुशासित और प्रबंधित समाज आज की सबसे पहली ज़रूरत है, इंसानियत के मानक और मापदंड को हासिल करने का और कोई शॉर्ट कट नहीं हैं। मुझे गर्व है ये कहने में कि मैं दाऊदी बोहरा समाज को एक आदर्श मानक के रूप में स्वीकार करता हूं। प्रगति, विकास और संपूर्ण साक्षरता के साथ परिवार नियोजन की प्राथमिकता को हासिल करना तब ही मुमकिन हैं। और दाऊदी बोहरा समाज ने ये चमत्कार कर दिखाया है।

रमज़ान की 30 वीं रात को दाऊदी बोहरा समाज के धर्म गुरू डाक्टर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब का दो मिनट का इस रमज़ान का अंतिम संदेश सुनाया गया। उसके पश्चात विश्व की सभी बोहरा मस्जिद मे इमामत कर रहें साहबो ने उनके संदेश की अनुमोदना कर व्याख्या की। संयोग से मेंने इस वर्ष रतलाम की स्टेशन रोड स्थित ईज़्ज़ी मस्जिद मे दमन से पधारे शेख शब्बीर भाई साहब मोरीवाला की इमामत मे रमज़ान मे इबादत की। दाऊदी बोहरा समाज (दावत) के इतिहास, महापुरुषो की प्रेरणा से उन्होने बड़े साधारण ढंग से और गहन अध्ययन से जोड़कर सैयदना साहब के संदेश को पहुंचाया।

रमज़ान के अपने अंतिम संदेश में सैयदना साहब ने हर बोहरा अनुयाई से आग्रह किया कि वो कुरान की शिक्षाओं से जुड़े, और हर बोहरा सदस्य कुरान की तिलावत को प्राथमिकता देकर प्रतिमाह एक कुरान की तिलावत मुकम्मिल करे, यदि मुमकिन न हो तो एक साल मे करे लेकिन करे जरूर। प्रत्येक बोहरा घर मे एक हाफिजुल कुरान हो, इस पर अनिवार्य रूप से ध्यान दे।

शेख शब्बीर भाई साहब मोरीवाला ने सैयदना साहब के निर्देश और अपील की अनुमोदना करते हुए, कुरान को समझकर पढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। क्योंकि किसी भी समाज के विकास के लिए साक्षरता पहली आवश्यकता है। पिछले माह मुंबई के अल जमिअतुस सैफियाह के मरोल चैप्टर के उद्घाटन संबोधन मे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बोहरा धर्म गुरूओं से अपने संबंधो की चर्चा करते हुए शिक्षा और साक्षरता को दाऊदी बोहरा समाज के सर्वांगीण विकास का मूल मंत्र बताया था। धर्म ग्रंथ कोई भी हो मनुष्य को सभ्य और साक्षर बनाने की पहली पायदान है।

सितंबर 2018 में मेरी मुलाकात डाक्टर सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब से खंडाला मे हुई थी। मेने उन्हें कुरान की शिक्षाओ पर आधारित मेरे द्वारा हिंदी में लिखे 10000 पद और 18 अध्याय के महागीत (हम्द) से अवगत कराया था। सैयधना साहब ने मुझे अपनी दुआओ का आशीर्वाद दिया।

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